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संपू दे अंधार सारा

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मंगळवार, 6 नोव्हेंबर 2018 (19:06 IST)
उजळू दे आकाश तारे
            गंधाळल्या पहाटेस येथे
                   वाहू दे आनंद वारे....
 
             जाग यावी सृष्टीला की
                    होऊ दे माणूस जागा
             भ्रष्ट सारे नष्ट व्हावे
                    घट्ट व्हावा प्रेम धागा...
 
             स्वच्छ सारे मार्ग व्हावे
                 अन् मने ही साफ व्हावी
              मोकळ्या श्वासात येथे
                जीवसृष्टी जन्म घ्यावी...
 
              स्पंदनांचा अर्थ येथे
                      एकमेकांना कळावा
             ही सकाळ रोज यावी
                      माणसाचा देव व्हावा.........

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